Wednesday, January 25, 2017

पिता पर कविता


पिता
पिता मेरी आत्मा है
पिता ही परमात्मा है ।

पिता से हर सपना है
पिता से सब अपना है ।

पिता से ही रास्ता है
पिता ही मेरी आस्ताँ है ।

पिता चाँद है तारे है
पिता  मेरे दुलारे है।

पिता पालन है पोषण है।
पिता बिना कभी शोसन है।

पिता ही मेरी वन्दना है
पिता  मेरी आराधना है ।

पिता ही माझी ,पतवार है
पिता से ही तो परिवार है ।

पिता से ही संस्कार है
पिता से ही व्यवहार है ।

पिता से मुसीबत का हल है
पिता है तभी मेरा कल है ।
मोहित जागेटिया

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