कभी मैं राम लिखता हूँ कभी रहमान लिखता हूँ ।
किसी का मान लिखता हूँ किसी की शान लिखता हूँ।
नहीं सक्षम कि मैं लिख दूँ कहानी देश की अपनी,
तभी सम्मान से दिल में ये हिन्दुस्तान लिखता हूँ।
मोहित
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