Saturday, January 28, 2017

बदलते दोस्त को देखा मुक्तक

मेने बुजते चिराग को जलते देखा है।
उस के आंगन में फुल को खिलते देखा है ।
केसी दोस्ती थी मेरी उस से जिसको में  ।
आखो से उस दोस्त को बदलते देखा है।
       ।।मोहित।।

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