एक दूजे से पतंग का पेच लड़ाएंगे। हम छत से दूसरी छत पर नजर मिलाएंगे। हम आज आकाश में देखेंगे मगर दिल से वही मकर सक्रांति का त्यौहार मनाएंगे। मोहित
No comments:
Post a Comment