Thursday, March 2, 2017

नेता पर कविता

नेता की तो प्यारी प्यारी बोली है।
जनता तो सारी बेचारी भोली है।
चुनाव में जनता को कभी ढूंढ़ते है
चुनाव बाद जनता को वो लूटते है।
ये कैसा आज वो देश बना रहें है
देश में कैसा परिवेश बना रहें है।
भाई  भाई  में  लड़ाई  कराते  है
दुश्मन को भी अपने गले लगाते है ।
राजनीति में ये कैसा साल आ गया
नेता का आज तो बुरा काल आ गया ।
ये क्या अमन में कभी फूल खिलाएंगे
जो  वोट  के  लिए खुद ही गिर जाएंगे।
मोहित जागेटिया

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