सफर अच्छा नही लगता हमसफ़र के बिना । शहर अच्छा नही लगता कभी घर के बिना। चले आएंगे हम दूर से तेरे करीब, कुछ अच्छा नही लगता तेरे दर के बिना। मोहित जागेटिया
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