कभी गीत कभी गजल कभी छंद बनों । हल्की हल्की मुस्कान से मन्द बनों । तुम जीवन ऐसा जिओ स्वाभिमान का, कल के तुम स्वामी विवेकानंद बनों। मोहित
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