जिसने कभी राजस्थान का मान बड़ाया
उस प्रताप ने हमको तो सम्मान दिलाया।
वो तो राजस्थान की आन बान शान था
वो हमारी मेवाड़ धरा की मुस्कान था।
अपने स्वाभिमान को ना बिकने नही दिया
इरादों को उसने कभी झुकने नही दिया।
नही मानी हार जंगल में वो चलता रहा
नही छाव आई वो धूप में जलता रहा ।
कभी वो डमरू वाले शिव का अवतार था
वो तो कभी चेतक घोड़े पर असवार था।
ऐसे उदय सिंह के पुत्र को मेरा सलाम
उस प्रताप की चरणों में मेरा तो प्रणाम ।
मोहित
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