जो जश्न हार का यहाँ मनाते है।
जश्न में यहाँ पटाखे जलाते है।
क्या कमी रह गई मेरे भारत में,
जो गीत पाकिस्तान का गाते है।
मोहित
जश्न मनाने का तुम्हें कोई अधिकार नही है।
खेल तो हार जीत का ये युद्ध में हार नही है।
तुम इस धरा पर रहतें हो यहाँ की खाते हो फिर,
कैसा भेद तुम्हारा इस मुल्क से प्यार नही है।
मोहित
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