Thursday, June 8, 2017

मुक्तक

जीने की दुआ देते खुद जीने नही देते है ।
गम को कैसे भूल जाहू पीने नही देते है।
उनकी हर खता से में तो अब मरना चाहता हूँ,
जीने की दुआ से वो अब मरने नही देते है।
मोहित

रात में आँखों से बरसात हो रही थी ।
न जाने क्यों उनसे ही बात हो रही थी।
सोचा उसको कभी अपना नही बना हूँ,
दर्द  से  मेरी  तन्हा  रात  हो  रही थी।
मोहित

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