"" बहिन ""
तुम सावन की आज पहली बौछार हो ।
तुम बहती नदी में निर्मल सी धार हो ।
तुम ही इस चमन में खिलता वो फूल हो,
तुम घर आँगन में भाई का कही प्यार हो।
तुम से सजा ये सुन्दर वो संसार हो
ये घर तुम से बना वो तुम परिवार हो।
एक रेशम के धागे से बना रिश्ता,
मेरा तुम रक्षा बंधन का त्यौहार हो।
मोहित
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