अपनी औकात में और अपने ईमान में रहों । बनाई है पहचान तो अपनी पहचान में रहों। ऊँचाई पर जा कर आज नीछे क्यों गिरते हो तुम, यहाँ पर सुरक्षित नही तो तुम पाकिस्तान में रहों। मोहित
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