Sunday, January 28, 2018

कासगंज पर मेरी कविता

      कासगंज घटना पर मेरी कविता

कासगंज का ध्वज लहरातें अब बेटा चन्दन नही रहा
देश के गद्दारों का देश के प्रति आज दर्पण नही रहा ।।

भारत देश अपने गद्दारों से हर बार बार छला गया
तिरंगा लहरातें चन्दन गोली खा के आज चला गया।।

उदघोष वन्दे मातरम,भारत माता की जय नारा था
चन्दन अपने देश के गद्दारों के हाथ आज हारा था।।

तिरंगा यात्रा में वो आज तिरंगे में लिपट कर आया
तिरंगे के खातिर वो तिरंगे की खुशबू घर पर लाया । ।

कब तक मेरे भारत देश में ये घटना होती रहेंगी
क्या  देश  की सरकारें ऐसे ही अब सोती रहेंगी।।

इस  देश  में  तिरंगा न फहराना कितनी बात बूरी है
जो देश को बाटे अब उनका आज ईलाज जरूरी है।।

चन्दन के अरमान को चन्दन की तरह आज लगाएंगे
देश  के गद्दारों  के  घर  पर  भी अब तिंरगा फहरायेंगे।।

दुश्मन की हर चुनौती हर बार आज स्वीकार करता हूँ
में  उस  चन्दन  को वंदन हर बार हजार बार करता हूँ
मोहित जागेटिया






Saturday, January 27, 2018

मेरी अदालत में ख़ुशी हो

जिंदगी  में  हँसी  हो , मोहब्बत में ख़ुशी हो ।

मुझे तुम्हारी हर पल हिफ़ाजत में ख़ुशी हो ।

तेरी  जिंदगी  के  इस  सफर  की लड़ाई में,

कभी  मुझे  तुम्हें  याद  करते  वक्त खुशी हो।।
मोहित

मेरी ही सासों में तेरा निवास लिखूंगा


मिलों  तुम  तो  तुम्हारा  ही  अहसास  लिखूंगा।
तुम्हारी  दूरी  को  में  दिल के कभी पास लिखूंगा।
तेरी   चाहतो   में   मैं   जो   तुम   पर   हारा   हूँ ,
मेरी    सासों   पर तुम्हारा   निवास   लिखूंगा।।
    मोहित

कोई मोहित करता है

कोई  मोनु  कहता  है  कोई  मोहित  कहता  है ।
बस  मेरे  दिल  में  तो  मीत  और  प्रीत रहता है ।
जिसने जिस रूप में मुझे आज स्वीकार किया है,
मेरा  दिल  भी  उसको  उसी  रूप में समझता है।।
मोहित

Friday, January 26, 2018

गणतंत्र दिवस

तुम  कभी  हवाओं में दीप जलायें रखना।

खुद को कभी देश के लिए जगायें रखना।

तिरंगे  के  खातिर  जाने  कितने  मिट गये ,

तुम इस तिरंगे को  दिल  में  बसायें  रखना।

मोहित जागेटिया

गणतंत्र दिवस

आओ हम सब गीत ख़ुशी के गातें है ।

गणतंत्र  दिवस  को शान से मनातें है ।

इस वतन पर मिटनें वालों की याद में,

इस  तिरंगें  को  शान  से  लहराते  है ।

मोहित

Monday, January 22, 2018

तुम्हारी याद आएगी

तुम  से  दूर  भी  रहूंगा  फिर भी तुम्हारी याद आएगी ।

गुज़रे हुए पल की याद अब कभी नही भुलाई जायेगी ।

जिंदगी के सफर की अब तेरी और मेरी राह अलग है,

तुम्हें  तुम्हारी  राह  पर  तेरी  वो  मंजिल मिल पाएगी।।

मोहित

बसन्त

नया  मौसम  है नई ही बहार होगी ।
शब्दों पर माँ सरस्वती सवार होगी ।
करता हूँ मैं माँ सरस्वती को वंदन,
बसंत की खुशिया सब की अपार होगी ।
मोहित

जय माँ सरस्वती

तेरी वंदना के आज गीत गाहूँ
मेरे शब्दों से तुमको में रिजाहूँ।।
मेरे शब्दों को तुमनें सवारा है
मेरे गीतों को तुमने निहारा है
ये ज्ञान का दीप तुमने जलाया है
मेरे शब्दों को तुमने बनाया है।।

तेरी वंदना के आज गीत गाहूँ
मेरे शब्दों से तुमको में रिजाहूँ।।
करू वंदना तेरी वो ज्ञान देना
भारत वंदना का शब्द दान देना
हर शब्द शब्द मेरा अब बिखर जायें
तेरी वंदना से शब्द निखर जायें।।

तेरी वंदना के आज गीत गाहूँ
मेरे शब्दों से तुमको में रिजाहूँ।।
गीत, संगीत को तुमने सजाया है
हर कला को इंसान में बसाया है
हे स्वेत वस्त्र धारणी मेरा वंदन
वीणा वादनी तुमको हर बार नमन।।

Monday, January 1, 2018

सेना में शहीद जवान पर उसके बच्चे के सोच

में गोली आज चलाहूँगा दुश्मन को मार गिराहूँगा
सेना में जा कर अपने दुश्मन का बदला ले आहूँगा
जो पापा का काम रह गया उससे आज में निभाहूँगा
भारत माँ की सेवा में मैं भी अपना कर्ज चुकाहूँगा।।

मिटा डाला उसने मेरे हर सपने वह अरमान को
मिटा डाली मेरे परिवार की हंसी और मुस्कान को
में भी आज मिटा आहूँगा दुश्मन को उसके घर में ही,
मिटनें नही दूंगा मैं भी अपनी ही आन,बान ,शान को।।

दुश्मन के घर में जा कर में दुश्मन को मार गिराहूँगा
में अपनी  मोत का बदला मोत से ही ले कर आहूँगा
उस हर जिहादी के घर आंगन को कब्रिस्तान बनाहूँगा
जो आँख उठाएगा मेरे मुल्क पर उसको मिठाहूँगा।

उसकी हर गोली का जुवाब में अपनी गोली से दूंगा
में अपने पिता का बदला आज सेना में जा कर लूंगा
उस के घर में जा कर आज उसकी में अर्थी सजाहूँगा
में  गोली  आज  चलाहूँगा  दुश्मन  को मार गिराहूँगा।।
मोहित

गजल पागल लिखूंगा

कभी तो पागल लिखूंगा

बरसती आँखों को में खुद को बादल लिखूंगा ।
तेरी  मोहब्बत  में  कभी  तो  पागल  लिखूंगा ।।

जिंदगी  की  राह  में  प्यार के सफर में खुद को
कभी गीत,कभी शायरी खुद को गजल लिखूंगा।।

कभी  तेरी  आँखों  को  तारा ,दिल  को दुलारा
खिलती तेरी हर अदा को आज कमल लिखूंगा।।

में हर दिन सुबह का सवेरा रात का अँधेरा
तेरे ख्यालो में खुद को आज घायल लिखूंगा।।

तेरी खिलती मुस्कान पर हर दिन में फ़िदा हूँ
तुमको पाने के लिए आज और कल लिखूंगा।।

मोहित

गजल

गजल
कभी में गीत लिखूंगा कभी में गजल लिखूंगा ।
तेरी हर एक अदा को खिलता कमल लिखूंगा ।

तुम्हें  पाने  के  लिए  में  हर  वक्त  रोता  हूँ,
जब  बरसती  है  आँखे  तुम्हें  बादल लिखूंगा ।

इस दिल में समा जाहो आज इस में बस जाहों
तुम्हें  पाने  के  लिए  आज  और कल लिखूंगा।

तेरे  ख्यालों  में  जब  कही  और  खो  जाता हूँ
खुद को मोहब्बत के सफर में पागल लिखूंगा ।

हर चहरे में मुझे तुम नजर आती हो तुम्हे तो
किसी का घुंघरू तो किसी की पायल लिखूंगा ।
मोहित