में गोली आज चलाहूँगा दुश्मन को मार गिराहूँगा
सेना में जा कर अपने दुश्मन का बदला ले आहूँगा
जो पापा का काम रह गया उससे आज में निभाहूँगा
भारत माँ की सेवा में मैं भी अपना कर्ज चुकाहूँगा।।
मिटा डाला उसने मेरे हर सपने वह अरमान को
मिटा डाली मेरे परिवार की हंसी और मुस्कान को
में भी आज मिटा आहूँगा दुश्मन को उसके घर में ही,
मिटनें नही दूंगा मैं भी अपनी ही आन,बान ,शान को।।
दुश्मन के घर में जा कर में दुश्मन को मार गिराहूँगा
में अपनी मोत का बदला मोत से ही ले कर आहूँगा
उस हर जिहादी के घर आंगन को कब्रिस्तान बनाहूँगा
जो आँख उठाएगा मेरे मुल्क पर उसको मिठाहूँगा।
उसकी हर गोली का जुवाब में अपनी गोली से दूंगा
में अपने पिता का बदला आज सेना में जा कर लूंगा
उस के घर में जा कर आज उसकी में अर्थी सजाहूँगा
में गोली आज चलाहूँगा दुश्मन को मार गिराहूँगा।।
मोहित
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