हमारा भी नव वर्ष आया।
मंगल हर्ष उत्कर्ष छाया।
प्रकति का रूप बदलने लगा
उपवन का सुमन खिलने लगा।
चैत्र एकम का ये मधु मास
इसी में नव दुर्गा उपवास
राम का इस मे है अवतार
इस नव वर्ष से हमको प्यार।
हम मंगल दीप को जलायें
हर घर द्वार को भी सजायें।
हम मंगल आरती उतारे
आज स्वागत करें हम सारे।
हमारी संस्कति का सम्मान
भारत वर्ष की ये पहचान।
हिन्दू नव वर्ष स्वीकार है
आज हिन्दू का त्योहार है।
मोहित
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