अगर मोहन तुम्हारी कभी ये शरारत न होती
तुमको चाहने की हमको मोहन आदत न होती।
कभी तेरे दर्शन के लिए तेरे दर तो आते
दर्शन न होते अगर तुम्हारी इजाज़त न होती ।
में भटक जाता इधर उधर इस संसार मे मोहन
अगर मेरे पास तेरी प्रेम की दोलत न होती।
गोपियों की रोज तुम ऐसे मटकी न फाड़ते तो
कभी यशोदा से तुम्हारी ये शिकातय न होती।।
अगर तुम कभी दुराचारी का विनाश न करते तो
आज तुम्हारी ये संसार में इबाबत न होती।।
मोहित
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